लेखनी कविता -दिल लगा कर लग गया उन को भी तनहा बैठना - ग़ालिब
दिल लगा कर लग गया उन को भी तनहा बैठना / ग़ालिब
दिल लगा कर लग गया उन को भी तन्हा बैठना
बारे अपनी बेकसी की हम ने पाई दाद याँ
हैं ज़वाल-आमादा अजज़ा आफ़रीनश के तमाम
मेहर-ए-गर्दूं है चराग़-ए-रहगुज़ार-ए-बाद याँ